️ *द्रव्यार्पण*️
जन्म मरण रोगों को, युग युग से सहता आया ।
तव कृपा औषधि पाने को,प्रासुक जल अर्पण करने आया ।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर ,तव पूजन से मन हर्षाया।
आप सम सुख पाने मैं,चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प.पू.१०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम जन्म जरा मृत्यु विनाशनाय जलम् निर्वपा मिति….
संयम के पावन सुंगध से,सुशोभित है जिनकी चर्या।
चंदन सम शीतलता पाने,अब गुरु चरण शरम में आया ।।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने,तव चरण शरण में हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प.पू.१०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम संसारताप विनाशनाय चंदनम् निर्वपा मिति….
नश्वर इन्द्रिय सुख में रमकर,आत्मसुख को भूल गया ।
अक्षयसुख पाने अब गुरुचरणों में अक्षत चढ़ाने हूँ आया ।।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मैं,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम अखंड अक्षय पद प्राप्तेय अक्षतम् निर्वपा मति …
कामदेव के मदनबाण को,गुरुकृपा से रोक सकूँ ।
संयम धारण करने हेतू,सुमन से सुमन अर्पण करुँ ।।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मै ,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम कामबाण विध्वंसनाय पुष्पम् निर्वपा मिति…
इन तृषा-क्षुधा ने अनादि से असाता बन तडपाया ,अब तृषा-क्षुधा व्याधि मिटाने,
गुरुवैद्य तव शरण आया ।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मै,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम क्षुधारोग निवारणाय नैवेद्यं निर्वपा मिति….
मोह महातम अज्ञान तिमिर से संसार में भटक रहा हूँ ।
तव सम रत्नत्रय प्रकाश पाने,श्रद्धा दीपक लाया हूँ ।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मै,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम मोहांधकार विनाशनाय दीपम् निर्वपा मिति ….
शुभ-अशुभ सब कर्मो को,ध्यानाग्नि में विध्वंस करुँ ।
शुक्ल ध्यान पाने को गुरु,दशांगी धूप अर्पण करुँ ।।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मै,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम अष्ट कर्म दहनाय धूपम् निर्वपा मिति ….
शिवफल शाश्वत सुन्दर फल पाने श्रीफल लाया हूँ,
गुरुचरणो में समर्पित करने,तव छत्रछाया में आया हूँ ।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मै ,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम मोक्षफल प्राप्तेय फलम् निर्वपा मति …
नश्वर पद मद तजकर,आपने शिवपथ को पाया।
ऐसे गुरु चरणों में ,अर्घ्य समर्पित करने मैं आया।
श्री निर्वेगसागर गुरुवर,तव पूजन से मन हर्षाया ।
आप सम सुख पाने मै ,तव चरण शरण हूँ आया ।।
ॐ ह: श्री प पू १०८ निर्वेगसागर मुनिंद्राय मम अनर्घ्य पद प्राप्तेय अर्घ्यम् निर्वपा मिति ….