Awesome Image

१०८+

निर्वेग सागरजी महाराज

जैन धर्म

Awesome Image मुनि श्री के बारे में

दिलीप कुमार जी से निर्वेग सागर जी तक

प्रातः स्मणीय आचार्य गुरुवर १०८ श्री विद्या सागर जी के आज्ञानुवर्ती शिष्य मुनि श्री १०८ निर्वेग सागरजी महाराज का जन्म १o दिसंबर १९७३ को छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश में हुआ था। मुनि श्री पर आचार्य भगवन की अनवरत कृपा रही और गुरुदेव ने बहुत ही धर्म प्रवहवना की जिस से सभी प्राणियों का कल्याण हुआ है | शुरवात से की गुरुदेव ने युवाओं को धर्म से जोड़े रखने का प्रयास किया है | |

मुनि श्री को पाठशाला प्रणेता के नाम से जाना जाता है क्यों की पुरे देश मैं मुनि श्री ने पाठशालाओं को खुलवाया है |

इसके बाद, ७ अक्टूबर १९९५ को सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर, जिला दमोह, मध्य प्रदेश में आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज से क्षुल्लक दीक्षा प्राप्त की। फिर, २१ अगस्त १९९६ को अतिशयक्षेत्र महुआजी, जिला सूरत, गुजरात में आचार्य श्री 108 विद्यासागरजी महाराज से ऐलक दीक्षा प्राप्त की। अंततः, १६ अक्टूबर १९९६ को मध्य प्रदेश के देवास जिले के सिद्धक्षेत्र नेमावर में आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज से मुनि दीक्षा प्राप्त की। दीक्षा के पश्चात उनका नाम मुनि श्री १०८ निर्वेग सागरजी महाराज रखा गया।

  • Awesome Image जैनश्री कक्षा
  • Awesome Image पर्युषण महापर्व
  • Awesome Image जैन धर्म
  • Awesome Image मूक माटी अनुवाद

श्रमण संस्कृति उन्नायक आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज

माता आर्यिकाश्री समयमतिजी और पिता मुनिश्री मल्लिसागरजी दोनों ही बहुत धार्मिक थे। मुनिश्री ने कक्षा नौवीं तक कन्नड़ी भाषा में शिक्षा ग्रहण की और नौ वर्ष की उम्र में ही उनका मन धर्म की ओर आकर्षित हो गया और उन्होंने उसी समय आध्यात्मिक मार्ग पर चलने का संकल्प कर लिया। उन दिनों विद्यासागरजी आचार्यश्री शांतिसागरजी महाराज के प्रवचन सुनते रहते थे। इसी प्रकार धर्म ज्ञान की प्राप्ति करके, धर्म के रास्ते पर अपने चरण बढ़ाते हुए मुनिश्री ने मात्र 22 वर्ष की उम्र में अजमेर (राजस्थान) में 30 जून, 1968 को आचार्यश्री ज्ञानसागरजी महाराज के शिष्यत्व में मुनि दीक्षा ग्रहण की। दिगंबर मुनि संत विद्यासागरजी और भी कई भाषाओं पर अपनी कमांड जमा रखी थी। उन्होंने कन्नड़ भाषा में शिक्षण ग्रहण करने के बाद भी अँग्रेजी, हिन्दी, संस्कृत, कन्नड़ और बांग्ला भाषाओं का ज्ञान अर्जित करके उन्हीं भाषाओं में लेखन कार्य किया। महाराज जी के प्रेरणा और आशीर्वाद से आज कई गौशाला, स्वाध्याय शालाएँ, औषधालय स्थापित किए गए हैं। कई जगहों पर निर्माण कार्य जारी है। आचार्यश्री पशु माँस निर्यात के विरोध में जनजागरण अभियान भी चला रहे है। साथ ही ‘सर्वोदय तीर्थ’ के नाम से अमरकंटक में एक विकलांग निःशुल्क सहायता केंद्र चल रहा है। महाराजश्री ने पशु धन बचाने, गाय को राष्ट्रीय प्राणी घोषित करने, माँस निर्यात बंद करने को लेकर अनेक उल्लेखनीय कार्य किए हैं। ऐसे ज्ञानी और सुकोमल छवि वाले आचार्यश्री विद्यासागरजी को उनके जन्मदिवस पर शत-शत नमन्।

Awesome Image मुनि श्री ने जैन समाज के बच्चे और युवाओं को प्रोत्सान दिया

उनके प्रमुख कार्य

मुनि श्री १०८ निर्वेग सागरजी के बारे में

पूर्व का नाम: बा. ब्र. दिलीप कुमार जी जैन
जन्म: १o दिसंबर १९७३ गुरूवार पौषशुक्ल ११ वि. स. २०३०
जन्म स्थान: छिंदवाड़ा, मध्य प्रदेश
माताजी का नाम: श्रीमती कमला बाईजी जैन
पिताजी का नाम: स्वर्गीय श्री वंशीलालजी जैन
भाई बहन जन्म के क्रम से): 1. श्रीमती सुनीता 2. श्रीमती अनीता 3. श्रीमती विनीता 4. श्रीमती बबीता 5. श्री दीपक  6. आपका क्रम 7. बा.      ब्र.स्वेता दीदी ( वर्तमान आ. श्री संतुष्ट मति माता जी )
लौकिक शिक्षा: बी.एससी (प्रथम वर्ष)
ब्रह्मचर्य व्रत: १ जुलाई १९९२ को आचार्य श्री १०८ विद्यासागरजी महाराज से सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर, जिला दमोह, मध्य प्रदेश
क्षुल्लक दीक्षा: ७ अक्टूबर १९९५ को सिद्धक्षेत्र कुंडलपुर, जिला दमोह, मध्य प्रदेश
ऐलक दीक्षा:   २१ अगस्त १९९६ को अतिशयक्षेत्र महुआजी, जिला सूरत, गुजरात
मुनि दीक्षा: १६ अक्टूबर १९९६ को मध्य प्रदेश के देवास जिले के सिद्धक्षेत्र नेमावर
Awesome Image ब्लॉग

मुनि श्री १०८ निर्वेग सागरजी महाराज न्यूज मंच को और बेहतर, सार्थक, सफल एवं समृद्ध बनाने की दिशा में आपके सुझाव हमेषा उपयोगी होंगे।
आशा है आपका अपना यह मंच आपके जुड़ाव से सफलता से नए सोपान हासिल करेगा। इसी विश्वास के साथ…….